दिनमान को पांच से विभाजित करने पर पहला भाग- प्रातः काल
दूसरा भाग-संगव काल या पूर्वान्ह काल
तीसरा भाग-मध्यान्ह काल
चौथा भाग- अपराह्न काल
और पाचवां भाग-सायं काल कहलाता है।
इसकी गणना सूर्योदय से शुरू होती है।
दिनमान के पन्द्रह भाग करने पर आठवां भाग अभिजित मुहूर्त और दशवाँ भाग विजय मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।
दूसरा भाग-संगव काल या पूर्वान्ह काल
तीसरा भाग-मध्यान्ह काल
चौथा भाग- अपराह्न काल
और पाचवां भाग-सायं काल कहलाता है।
इसकी गणना सूर्योदय से शुरू होती है।
दिनमान के पन्द्रह भाग करने पर आठवां भाग अभिजित मुहूर्त और दशवाँ भाग विजय मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।
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ReplyDeleteसंगव काल यानी पूर्वाह्न काल कब से कब तक होता है ?
ReplyDeleteमहाेदय रात्रि के पाँच काल काैन हाेते हैं जानकारी दीजियेगा
ReplyDeleteGuruji रोहिन मुहूर्त दिनमान का ९ भाग है,इसका महत्व कितना है श्राद्ध में और कारण
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