दिनमान के 15भाग करने पर आठवां भाग अभिजित मुहूर्त कहलाता है।
इसमें अनेकों दोषों के निवारण की शक्ति होती है।
अतः कोई शुभ लग्न मुहूर्त न बनता हो तो जातकादि सभी शुभ कार्य अभिजित मुहूर्त में किये जा सकते हैं ,परन्तु बुधवार के दिन इसका निषेध है।
भगवान को अत्यन्त प्रिय यह पावन काल सबको शान्ति देने वाला है।
इसमें अनेकों दोषों के निवारण की शक्ति होती है।
अतः कोई शुभ लग्न मुहूर्त न बनता हो तो जातकादि सभी शुभ कार्य अभिजित मुहूर्त में किये जा सकते हैं ,परन्तु बुधवार के दिन इसका निषेध है।
भगवान को अत्यन्त प्रिय यह पावन काल सबको शान्ति देने वाला है।
यह ज्योतिष के मुहूर्त विषय से सम्बन्धित है
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