शुभ और अशुभ विचार
shubh aur ashubh vichaar
अक्सर हम किसी नगर या ग्राम में बसने, किसी वाहन आदि की खरीदारी, या कोई उद्योगादि प्रारम्भ करने,इत्यादि अनेकों कार्यों में शुभ और अशुभ प्रभाव का विचार करते हैं।कि हमारे लिए वो कितना शुभ या अशुभ फल देने वाला होगा?
लाभ-हानि का विचार
Profit and loss consideration
किसी नगर, ग्राम आदि में स्थाई निवास बनाने अथवा कोई कारोबार या उसकी कोई शाखा स्थापित करने, कोई भागीदार, प्रबंधक या कर्मचारी नियुक्त करने, किसी से व्यापारिक या आर्थिक स्थाई संबंध स्थापित करने, वस्तु विशेष के उत्पादन या व्यापार करने आदि के समय यह स्वाभाविक प्रश्न उपस्थित होता है कि उस नगर ग्राम या व्यक्ति और वस्तु के कार्य-व्यापार से उसके कर्ता को लाभ होगा या नहीं?
ज्योतिषशास्त्र दृष्टया इसका निश्चय करने के लिए वास्तु प्रकरण में तीन विधियां बताई गई हैं।
1- राशि परित्वेन2-नक्षत्र परित्वेन3-काकिणी परित्वेन
व्यवहार कर्ता व्यक्ति की संज्ञा "साधक" और जिससे व्यवहार करना है उस नगर, व्यक्ति या वस्तु आदि की संज्ञा "साध्य"समझनी चाहिए।
इस सन्दर्भ में नाम, राशि, नक्षत्र का ही उपयोग श्रेष्ठ रहता है।यथा-
काकिण्यां वर्ग शुद्धौ च वादे द्यूते स्वरोदये।
मन्त्रे पुनर्भ वरणे,. नामराशेः प्रधानतः।।
राशि परित्वेन विचार
साधक से साध्य की राशि 1,7 होने पर शत्रुता,3,6 से हानि , 4,8,12,वीं होने पर रोगोत्पात (विपत्ति) कारक होती है।
नक्षत्र परित्वेन विचार
साध्य के नक्षत्र से साधक के नक्षत्र तक साभिजित् गणना करें।7 तक धनैश्वर्य, वृद्धि, मान-सम्मान,8 से 14 तक धन हानि,15 से 21 तक सुखोपभोग तथा सम्पत्ति लाभ।आगे 22 से 28 तक अनिष्ट जाने।
काकिणी विचार
काकिणी विचार 2- निवास के लिए तो करते ही हैं, इसको अन्य और भी कामों में विचारा जाता है जैसे- किसी को किसी के साथ फर्म आदि चालू करने के लिए समझौता करना हो। कोई कहे कि मैं अमुक वस्तु विशेष का उत्पादन करना चाहता हूं या दुकान खोलना चाहता हूं। फायदे में रहूंगा या नही? कौन ऋणी और कौन धनी होगा? इसका उत्तर काकिणी परित्वेन सहज प्राप्त कर सकते हैं। पहले शहर का नाम विचार कर, फिर मोहल्ला-नगर का, पुनः ब्लॉक का अथवा सेक्टर का नाम देखकर निर्णय लेना चाहिए। इसी से वाहन,पशु, नौकर चाकर के शुभाशुभ का सहज ज्ञान संभव है।
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