Tuesday, August 27, 2019

भगवती दुर्गा की आरती Aarti Bhagwati Durga


                  भगवती दुर्गा की आरती 


जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।1।।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृदमद को ।
उज्जवल से दोउ नैना, चंद्र बदन नीको ।।2।।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।3।।
केहरि वाहन राजत, खड़्ग खप्पर धारी ।
सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ।।4।।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ।।5।।
शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।6।।
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।7।।
ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।8।।
चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैंरु ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ।।9।।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता ।।10।।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ।।11।।
कंचन थाल विराजत, अगर कपुर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ।।12।।
श्री अंबे जी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे ।।13।।

Related topics-



No comments:

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...