कभी-कभी हमारे सामने ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि कार्य आवश्यक होता है किन्तु उस कार्य का उपयुक्त मुहूर्त नही होता है।ऐसे मे हम होरा मुहूर्त के अनुसार कार्य आरम्भ करके अपना कार्य सिद्ध कर सकते है ।प्रत्येक होरा एक घन्टे का होता है । जिस दिन जो वार होता है ,उस वार के आरम्भ (अर्थात् सूर्योदय के समय) से एक घंटा तक उसी वार का होरा होता है । इसके बाद एक घंटे का दूसरा होरा उस वार से छठे वार का होता है । इस क्रम से 24 घंटे में 24 होरा बीतने पर अगले वार के सूर्योदय के समय उसी वार का होरा आ जाता है । जिस कार्य की सिद्धि के लिये जो होरा नियत है उसके अनुसार ही उस होरा में कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी । ऋषियों ने होरा को “क्षणवार” कहा है ।वार से भी क्षण वार की प्रधानता मानी गयी है । इसीलिये यदि वार और ‘क्षणवार’ दोनों अनुकूल हों ,तभी किसी कार्य को करना चाहिए । आवश्यकता में,यदि वार अनुकूल नहीं हो तो ‘क्षणवार’ अर्थात् होरा की अनुकूलता के अनुसार कार्य करना चाहिए ।
सूर्य की होरा— राज्याभिषेक ,प्रसाशनिक कार्य ,राज-दर्शन ,चुनाव में फार्म भरना ,औषधि निर्माण,स्वर्ण-ताम्रादि के कार्य,यज्ञ,मंत्रोपदेश ,गाय-बैल एवं वाहन क्रय करना, टेंडर देना ,नौकरी व राजकार्य में चार्ज लेना और देना शुभ होता है।
चन्द्र की होरा – कृषि सम्बन्धी कार्य ,नवीन वस्त्र,मोती,आभूषण धारण ,नवीन योजना ,परिकल्पना ,कला सीखना ,वृक्षारोपण ,चाँदी की वस्तुएँ बनाना तथा सब कार्यों के लिये शुभ होती है ।
मंगल की होरा—युद्ध , वाद-विवाद,जासूसी कार्य ,छल करना ,असद कार्य,साहसिक कार्य,खनन कार्य,शल्य चिकित्सा,व्यायाम , यात्रा,कर्ज देना ,सभा-सोसाईटी में आना-जाना,मुकदमा करना में शुभ होती है ।
बुद्ध की होरा – विद्यारम्भ ,कोष संग्रह करना ,नवीन व्यापार ,शिक्षा-दीक्षा ,मैत्री ,समझौता,क्रीडा,धान्य संग्रह,लोक-संपर्क ,लेख लिखना ,पुस्तक प्रकाशन ,पत्र-व्यवहार,प्रार्थना-पत्र देने के लिये शुभ होती है ।
गुरु की होरा— धार्मिक कार्य ,विवाह सम्बन्धी कार्य ,गृह –शान्ति ,यज्ञ-हवन ,दान-पुण्य ,मांगलिक कार्य,देव प्रतिष्ठा ,न्यायिक कार्य ,नवीन वस्त्र-आभूषण धारण,विद्याभ्यास ,वाहन क्रय-विक्रय ,तीर्थाटन ,बड़ों से मिलना ,कोष संग्रह ,नवीन काव्य लेखन के लिये शुभ होती है ।
शुक्र की होरा-- यात्रा ,आभूषण,नवीन वस्त्रधारण ,नृत्य-संगीत ,स्त्री-प्रसंग ,प्रेम व्यवहार,प्रियजन समागम ,उत्सव,लक्ष्मी पूजन ,फिल्म निर्माण ,व्यापार,कृषि कार्य ,प्रवास ,सौभाग्यवर्द्धक कार्यों के लिये शुभ होती है ।
शनि की होरा—भूमि ,मकान की नीँव ,नूतन गृह आरम्भ ,गृह प्रवेश ,नौकर-चाकर रखना ,सेवा विषयक कार्य,अर्क निष्कासन ,विसर्जन ,पद-ग्रहण करना ,धन-संग्रह मशीनरी ,फैक्टरी आरम्भ,समस्त स्थिर कार्यों के लिये शुभ होती है ।
वार रविवार सोमवार मंगलवार बुद्धवार गुरुवार शुक्रवार शनिवार
01 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
02 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
03 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
04 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
05 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
06 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
07 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
08 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
09 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
10 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
11 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
12 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
13 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
14 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
15 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
16 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
17 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
18 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
19 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
20 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
21 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
22 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
23 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
24 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
सूर्य की होरा— राज्याभिषेक ,प्रसाशनिक कार्य ,राज-दर्शन ,चुनाव में फार्म भरना ,औषधि निर्माण,स्वर्ण-ताम्रादि के कार्य,यज्ञ,मंत्रोपदेश ,गाय-बैल एवं वाहन क्रय करना, टेंडर देना ,नौकरी व राजकार्य में चार्ज लेना और देना शुभ होता है।
चन्द्र की होरा – कृषि सम्बन्धी कार्य ,नवीन वस्त्र,मोती,आभूषण धारण ,नवीन योजना ,परिकल्पना ,कला सीखना ,वृक्षारोपण ,चाँदी की वस्तुएँ बनाना तथा सब कार्यों के लिये शुभ होती है ।
मंगल की होरा—युद्ध , वाद-विवाद,जासूसी कार्य ,छल करना ,असद कार्य,साहसिक कार्य,खनन कार्य,शल्य चिकित्सा,व्यायाम , यात्रा,कर्ज देना ,सभा-सोसाईटी में आना-जाना,मुकदमा करना में शुभ होती है ।
बुद्ध की होरा – विद्यारम्भ ,कोष संग्रह करना ,नवीन व्यापार ,शिक्षा-दीक्षा ,मैत्री ,समझौता,क्रीडा,धान्य संग्रह,लोक-संपर्क ,लेख लिखना ,पुस्तक प्रकाशन ,पत्र-व्यवहार,प्रार्थना-पत्र देने के लिये शुभ होती है ।
गुरु की होरा— धार्मिक कार्य ,विवाह सम्बन्धी कार्य ,गृह –शान्ति ,यज्ञ-हवन ,दान-पुण्य ,मांगलिक कार्य,देव प्रतिष्ठा ,न्यायिक कार्य ,नवीन वस्त्र-आभूषण धारण,विद्याभ्यास ,वाहन क्रय-विक्रय ,तीर्थाटन ,बड़ों से मिलना ,कोष संग्रह ,नवीन काव्य लेखन के लिये शुभ होती है ।
शुक्र की होरा-- यात्रा ,आभूषण,नवीन वस्त्रधारण ,नृत्य-संगीत ,स्त्री-प्रसंग ,प्रेम व्यवहार,प्रियजन समागम ,उत्सव,लक्ष्मी पूजन ,फिल्म निर्माण ,व्यापार,कृषि कार्य ,प्रवास ,सौभाग्यवर्द्धक कार्यों के लिये शुभ होती है ।
शनि की होरा—भूमि ,मकान की नीँव ,नूतन गृह आरम्भ ,गृह प्रवेश ,नौकर-चाकर रखना ,सेवा विषयक कार्य,अर्क निष्कासन ,विसर्जन ,पद-ग्रहण करना ,धन-संग्रह मशीनरी ,फैक्टरी आरम्भ,समस्त स्थिर कार्यों के लिये शुभ होती है ।
वार रविवार सोमवार मंगलवार बुद्धवार गुरुवार शुक्रवार शनिवार
01 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
02 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
03 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
04 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
05 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
06 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
07 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
08 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
09 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
10 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
11 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
12 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
13 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
14 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
15 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
16 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
17 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
18 होरा चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि
19 होरा शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र
20 होरा गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध
21 होरा मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र
22 होरा रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि
23 होरा शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल बुद्ध गुरु
24 होरा बुद्ध गुरु शुक्र शनि रवि चन्द्र मंगल
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