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Tuesday, December 24, 2024

कुम्भ पर्व 2025 Kumbh parva 2025 कुम्भ मेला kumbh mela

 कुम्भ महापर्व का सुयोग प्रयागराज 



कुम्भ पर्व की पौराणिक कथा

एक बार देवताओं और राक्षसों ने मिलकर अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया। जिसमें सबसे पहले विष निकला जिसे भगवान शंकर ने धारण किया। 

उसके बाद अन्य वस्तुऐं निकलती गई अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए।

इस दौरान अमृत को पाने के लिए राक्षस दौड़े तो उस संघर्ष के दौरान अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक में गिर गए।

देवताओं ने भगवान विष्णु की सहायता से अमृत का पान किया और अमर हो गए।

तब से इन स्थानों पर कुम्भ पर्व मनाने का प्रचलन प्रारंभ हुआ। 


मकरे च दिवानाथे वृष राशि गते गुरौ।
प्रयागे कुम्भ योगो वै माघमासे विद्युछये।।

निरयन गति से भ्रमण करता हुआ सूर्य जब मकर राशि में तथा गुरु वृष राशि में होता है। 

तब माघ मास की अमावस्या के दिन तीर्थनायक प्रयागराज में श्री गंगाजी के तट पर कुम्भ योग का सुयोग बनता है।

पद्मपुराण के अनुसार संवत 2081 माघ कृष्ण प्रतिपदा मंगलवार 14 जनवरी सन 2025 से माघी शुक्ल पूर्णिमा बुधवार तारीख 12 फरवरी 2025 तक कुम्भ महापर्व का सुयोग चालू रहेगा।

वेद,पुराण,धर्मग्रंथ,श्री रामचरितमानस के व्रत पर्वोत्सवों का महत्वपूर्ण स्थान है।

मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष) की प्राप्ति बिना व्रत नियम आदि के कोई भी प्राणी प्राप्त नहीं कर सकता है।पर्वोत्सवों के बिना सब नीरस सा प्रतीत होने लगता है।


कुम्भ पर्व पर साधु,सन्यासी,योगीजन, तपस्वी, महात्मा, महामण्डलेश्वर अपने-अपने अनुयायी संरक्षकों के साथ मिलकर शाही स्नान करते हैं।

भविष्य पुराण के अनुसार कुम्भ पर्व पर जो नर नारी, सद्गृहस्थी, साधु, सन्यासी,महात्मा, तपस्वी, योगी,वैरागी मौनव्रत रहते हुए श्रीगंगा,यमुना, सरस्वती के पावन संगम, त्रिवेणीघाट,प्रयागराज में स्नान करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।जो सैकड़ों मील दूर रहते हुए भी जय गंगे मैय्या कहते हुए मगन होकर स्नान करता है वह पापमुक्त होकर श्रीविष्णुलोक को जाता है।


माघ मास में ऊनी वस्त्र कम्बल आदि दान करने का सहस्र गुणा अधिक पुण्यफल प्राप्त होता है।


ध्यान रखें:-त्रिवेणी संगम पर एक अक्षय वट वृक्ष है, जिसका कभी क्षय नही होता है।उसके दर्शन मात्र से प्राणी धन्य हो जाते हैं।वंश वृद्धि का संयोग बनता है।अतः वट वृक्ष के दर्शन/प्रणाम करके अवश्य आना चाहिए।

कुम्भ महापर्व का संयोग श्रीगंगा, यमुना, सरस्वती के संगम त्रिवेणी घाट प्रयागराज में 12 वर्ष बाद बनता है।

ऐसे परम पुण्य प्रदायक योगों में मेले बहुत लगते हैं।

कौन सा ऐसा प्राणी होगा जो पुण्यार्जन से चूक जाए।

ऐसे में जनसामान्य, सद्गृहस्थी महानुभाव स्त्री- पुरुष बालगोपाल दर्शन का लाभ प्राप्त करके अपने को धन्य समझें। सामान्य दिनों में स्नान आदि पुण्य अर्जन कर लिया करें।तो उनका भी उतना ही कल्याण हो सकता है जितना विशेष रूप से स्नान करने वाले जनों का।


कुम्भ महापर्व के प्रमुख स्नान दिन तथा सामान्य तिथियाँ


इस वर्ष माघ मकर संक्रांति के साथ प्रारम्भ होकर मकरान्त के साथ ही समाप्ति 12 फरवरी 2025 बुधवार को समाप्त हो जाएगा। ऐसा संयोग कई वर्ष बीतने के बाद बना है। चान्द्र  सौर मास एक साथ चल रहे हैं। माघ में स्नानादि के लिए पर्वदिन सुनिश्चित हैं।

●13 जनवरी 2025 सोमवार पौषी पूर्णिमा माघस्नान प्रारंभ


● 14 जनवरी 2025 मंगलवार मकरसंक्रांति, प्रथम शाही स्नान


● 17 जनवरी 2025 शुक्रवार गणेशचतुर्थी, सामान्य स्नान


● 25 जनवरी 2025 शनिवार षट्तिला एकादशी व्रत,सामान्य स्नान


● 29 जनवरी 2025 बुधवार मौनी अमावस्या द्वितीय शाही स्नान


● 02 फरवरी 2025 रविवार वसन्त पंचमी, तृतीय शाही स्नान


● 04 फरवरी 2025 मंगलवार भानुसप्तमी, सामान्य स्नान


● 08 फरवरी 2025 शनिवार जया एकादशी व्रत,सामान्य स्नान


● 12 फरवरी 2025 बुधवार माघी पूर्णिमा, सामान्य स्नान


● 26 फरवरी 2025 बुधवार महाशिवरात्रि सामान्य स्नान

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