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Tuesday, December 31, 2024
नववर्ष 2025 की शुभकामनाएं Happy New Year 2025
संकल्प लें और वर्ष 2024 को छोड़कर नए साल 2025 में आएं।
नए का स्वागत हम सभी करना चाहते हैं, एक तरंग, एक उमंग के साथ नए का इंतजार करते हैं, लेकिन नया होने के लिए एक शर्त है, कि पुराने को त्यागा जाय। वह कोई नहीं कर पाता।
भूतकाल में जो भी घटनाएं घटी थीं। उनकी स्मृतियों को हम ढोते रहते हैं।
बाहर से तो वे सब विदा हो चुकी होती हैं, लेकिन हमारे मानस पटल पर अंकित रह जाती हैं। ऐसी न जाने कितनी पुरानी यादें मन के अंतरतम में बस जाती हैं। उनका बोझ ढोते हुए हम वर्तमान में जीने का प्रयास करते हैं जो कभी सफल नहीं होता।
मन के दो हिस्से होते हैं-एक चेतन और दूसरा अवचेतन। यह जो अवचेतन मन है, समुद्र जैसा विशाल और गहरा है। इसमें हजारों वर्षों की यादें, संस्कार, अनुभव पड़े रहते हैं। इसलिए बाहर की घटनाएं तो खत्म हो जाती है, लेकिन हर व्यक्ति के अंदर उनकी छाप बनी रहती है।
अगर सचमुच में भरपूर जीना है, एक-एक पल का पूर्ण आनन्द लेना है, तो जहां आप हैं, वहां पूरे-पूरे होने की कोशिश करें। प्रारम्भ में कठिनाई होगी लेकिन प्रयास करने पर सरल हो जाएगी। कठिनाई इसलिए होगी,क्योंकि हमारी आदतें सदा वहां पर पूर्ण रूप से उपस्थित होने की नहीं है, जहां हम होते हैं। हमारा शरीर तो मौजूद रहता है, पर मन कहीं और होता है। दोनों में कोई तालमेल नहीं होता। जहां हम हैं उस क्षण में हमारा मन वहां नहीं होता है।
अगर कोई व्यक्ति अभी और यहीं जीने में समर्थ हो जाए,तो वह जीवन को पूर्णतया जी पाएगा। किसी ने एक अनमोल बात कही है। जिस क्षण आप वर्तमान में होते हैं, उस क्षण आप सरोवर की भांति हो जाते हैं, आपकी ऊर्जा गोल, वर्तुलाकर आपके भीतर घूमने लगती है, क्योंकि बाहर जाने के लिए कोई मौका नहीं मिलता।
जैसे,अगर आप सुन रहे हैं और साथ-साथ सोच नहीं रहे, तो आप जरा सी भी शक्ति नहीं खोएंगे। आप एक वर्तुलाकर व्यक्तित्व बन गए। अगर सुनने के साथ-साथ आप सोच भी रहे हैं,तो आप थक जाएंगे, आपकी शक्ति क्षीण हो जाएगी।
इसलिए यदि नया बनना है,तो पुराने का इस तरह त्याग करें, जैसे सांप अपनी केंचुली को छोड़ता है। वह अपने अतीत से सरककर बाहर आ जाता है, मानो वह कभी था ही नहीं। ।।जय श्री कृष्ण।।
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