भगवती दुर्गा की आरती
जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।1।।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।1।।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृदमद को ।
उज्जवल से दोउ नैना, चंद्र बदन नीको ।।2।।
उज्जवल से दोउ नैना, चंद्र बदन नीको ।।2।।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।3।।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।3।।
केहरि वाहन राजत, खड़्ग खप्पर धारी ।
सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ।।4।।
सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ।।4।।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ।।5।।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ।।5।।
शुंभ निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।6।।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।6।।
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।7।।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।7।।
ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।8।।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।8।।
चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैंरु ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ।।9।।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ।।9।।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता ।।10।।
भक्तन की दुख हरता सुख संपत्ति करता ।।10।।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ।।11।।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर-नारी ।।11।।
कंचन थाल विराजत, अगर कपुर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ।।12।।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ।।12।।
श्री अंबे जी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे ।।13।।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे ।।13।।
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