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Monday, August 13, 2018

शतरुद्री अर्थात 100 मंत्रो से रुद्र पूजन या अभिषेक Rudra Pujaan or Abhishek from Shatrudri meaning 100 Mantras

शतरुद्री अर्थात 100 मंत्रो से रुद्र पूजन या अभिषेक
Rudra Pujaan or Abhishek from Shatrudri meaning 100 Mantras

शिव पुराण में शतरुद्री से शिव पूजन अभिषेक आदि का बड़ा अत्युत्तम माहात्म्य बताया गया है। इसमें भी मंत्रो का प्रयोग रुद्राष्टाध्यायी से ही किया गया है।कुछ मन्त्र बाहर से लिये गये हैं। शतरुद्री सम्बन्धी वाक्य इस प्रकार मिलते हैं:-
षष्ठषष्ठि नीलसूक्तं च पुनर्षोडशमेव च।।
एषते द्वे नमस्ते द्वे नतं विद्द्द्वयमेव च।।
मीढुष्टमेति चत्वारि वय गुंग चाष्टमेव च।।
शतरुद्री समाख्याता सर्वपातकनाशिनी।।

यों शतरुद्री का प्रयोग श्रेष्ठ होने पर भी रुद्राभिषेक में रुद्री का नमकचमकात्मक प्रयोग विशेष रूप से प्रचलित है।
इसमें रुद्राष्टाध्यायी का पहले सात अध्याय तक पाठ करके अष्टम अध्याय में क्रमशः 4,4,4,3,3,3,2,1,1,2 मन्त्रो पर विराम करते हुए पञ्चम अध्याय अर्थात नीलसूक्त के 11 पाठ होते है।
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