Pages

Wednesday, September 18, 2019

जन्मपत्रिका में बाधक ग्रहों का निवारणPrevention of obstructing planets in the horoscope


जन्मपत्रिका में बाधक ग्रहों का निवारण

Prevention of obstructing planets in the horoscope



सभी जातकों की जन्मपत्रिका में चर, स्थिर और द्विस्वभाव लग्न में उत्पन्न हुए या जन्म लेने वालों के लिए क्रमशः 11,9 और 7वाँ स्थान और उनके स्वामी बाधक होते है और ये अपनी दशा काल में बहुत ही प्रबल होते है ये अचानक बाधा उत्पन्न करके जीवन में परेशानी पैदा कर देते है।
अर्थात् चर लग्न के लिए  एकादश भाव का स्वामी, स्थिर लग्न के लिए नवम भाव का स्वामी, तथा द्विस्वभाव लग्न के लिए सप्तम भाव का स्वामी बाधक होता है।
इसके निवारण अथवा शांति के लिए सुदर्शन कवच का प्रयोग किया जाता है इसके अलावा ऊपरी बाधा, भूत, भूतिनी, यक्षिणी, प्रेतिनी या अन्य किसी भी तरह की ऊपरी विपत्ति में श्री सुदर्शन कवच रक्षा करता है।  यह अद्वितीय तांत्रिक शक्ति से युक्त है यह सुदर्शन चक्र की भांति साधक की रक्षा करता है ।
 विनियोग
ॐ अस्य श्री सुदर्शन कवच माला मंत्रस्य श्री लक्ष्मी नृसिंह: परमात्मा देवता क्षां बीजं ह्रीं शक्ति मम कार्य सिध्यर्थे जपे विनयोग:।
करन्यास हृदयादि न्यास
ॐ क्षां अन्गुष्ठाभ्याम नम: हृदयाय नम:
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्याम नम: शिरसे स्वाहा
ॐ श्रीं मध्यमाभ्याम नम: शिखाए वषट
ॐ सहस्रार अनामिकभ्याम नम: कवचाय हुम 
ॐ हुं फट कनिष्ठिकाभ्याम नम: नेत्रत्रयाय वौषट
ॐ स्वाहा करतल-कर प्र्ष्ठाभ्याम नम: अस्त्राय फट
ध्यानं :- उपसमाहे नृसिंह आख्यम ब्रह्म वेदांत गोचरम। भूयो-लालित संसाराच्चेद हेतुं जगत गुरुम।। 

पंचोपचार पूजनं : 
लं पृथ्वी तत्वात्मकम गंधंम समर्पयामि
 हं आकाश तत्वात्मकम पुष्पं समर्पयामि 
यं वायु तत्वात्मकम धूपं समर्पयामि
 रं अग्नि तत्वात्मकम दीपं समर्पयामि
वं जल तत्वात्मकम नैवेद्यं समर्पयामि
सं सर्व तत्वात्मकम ताम्बूलं समर्पयामि
ॐ सुदर्शने नम:
ॐ आं ह्रीं क्रों नमो भगवते प्रलय काल महा ज्वाला घोर वीर सुदर्शन नृसिंहाय ॐ महा चक्र राजाय महा बले सहस्रकोटिसूर्यप्रकाशाय सहस्रशीर्षाय सहस्राक्षाय सहस्रपादाय संकर्षणात्मने सहस्रदिव्याश्र सहस्र हस्ताय सर्वतोमुख ज्वलन ज्वाला माला वृताया विस्फु लिंग स्फोट परिस्फोटित ब्रह्माण्ड भानडाय महा पराक्रमाय महोग्र विग्रहाय महावीराय महा विष्णु रुपिणे व्यतीत कालान्त काय महाभद्र रोद्रा वताराया मृत्यु स्वरूपाय किरीट-हार-केयूर-ग्रेवेयक-कटक अन्गुलयी-कटिसूत्र मजीरादी कनक मणि खचित दिव्य भूषणआय महा भीषणआय महा भिक्षया व्याहत तेजो रूप निधेय रक्त चंडआंतक मण्डितम दोरु कुंडा दूर निरिक्षणआय प्रत्यक्ष आय ब्रह्म चक्र विष्णु चक्र कल चक्र भूमि चक्र तेजोरूपाय आश्रितरक्षाय/ ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात इति स्वाहा स्वाहा ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात इति स्वाहा स्वाहा भो भो सुदर्शन नारसिंह माम रक्षय रक्षय / ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात मम शत्रून नाशय नाशय / ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल चंड चंड प्रचंड प्रचंड स्फुर प्रस्फुर घोर घोर घोरतर घोरतर चट चट प्रचटं प्रचटं प्रस्फुट दह कहर भग भिन्धि हंधी खट्ट प्रचट फट जहि जहि पय सस प्रलय वा पुरुषाय रं रं नेत्राग्नी रूपाय / ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात भो भो सुदर्शन नारसिंह माम रक्षय रक्षय / ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शनाय विद्महे महाज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात एही एही आगच्छ आगच्छ भूतग्रह- प्रेतग्रह- पिशाचग्रह-दानावग्रह-कृत्रिम्ग्रह- प्रयोगग्रह-आवेशग्रह-आगतग्रह-अनागतग्रह- ब्रह्म्ग्रह-रुद्रग्रह-पतालग्रह-निराकारग्रह -आचार-अनाचार ग्रह- नन्जाती ग्रह- भूचर ग्रह- खेचर ग्रह- वृक्ष ग्रह- पिक्षी चर ग्रह- गिरी चर ग्रह- श्मशान चर ग्रह -जलचर ग्रह -कूप चर ग्रह- देगारचल ग्रह- शुन्यगार चर ग्रह- स्वप्न ग्रह- दिवामनो ग्रह- बालग्रह -मूकग्रह- मुख ग्रह -बधिर ग्रह- स्त्री ग्रह- पुरुष ग्रह- यक्ष ग्रह- राक्षस ग्रह- प्रेत ग्रह किन्नर ग्रह- साध्य चर ग्रह - सिद्ध चर ग्रह -कामिनी ग्रह- मोहनी ग्रह-पद्मिनी ग्रह- यक्षिणी ग्रह- पकषिणी ग्रह संध्या ग्रह- उच्चाटय उच्चाटय भस्मी कुरु कुरु स्वाहा / ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ क्षरां क्षरीं क्षरूं क्षरें क्षरों क्षर : भरां भरीं भरूं भरें भरों भर: ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रें ह्रों ह्र: घरां घरीं घरूं घरें घरों घर: श्रां श्रीं श्रुं श्रें श्रों श्र: / ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात एही एही सालवं संहारय शरभं क्रन्दया विद्रावय विद्रावय भैरव भीषय भीषय प्रत्यांगिरी मर्दय मर्दय चिदंबरम बंधय बंधय विदम्बरम ग्रासय ग्रासय शांर्म्भ्वा निबंतय कालीं दह दह महिषासुरी छेदय छेदय दुष्ट शक्ति निर्मूलय निर्मूलय रूं रूं हूँ हूँ मुरु मुरु परमन्त्र - परयन्त्र - परतंत्र कटुपरं वादपर जपपर होमपर सहस्र दीप कोटि पुजां भेदय भेदय मारय मारय खंडय खंडय परकृतकं विषं निर्विष कुरु कुरु अग्नि मुख प्रकांड नानाविध कृतं मुख वनमुखं ग्राहान चुर्णय चुर्णय मारी विदारय कुष्मांड वैनायक मारीचगणान भेदय भेदय मन्त्रं परअस्माकं विमोचय विमोचय अक्षिशूल कुक्षीशूल गुल्मशूल पार्श्वशूल सर्वाबाधा निवारय निवारय पांडूरोगं संहारय संहारय विषम ज्वर त्रासय त्रासय एकाहिकं द्वाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिकं पंचाहिकं षष्टज्वर सप्तमज्वर अष्टमज्वर नवमज्वर प्रेतज्वर पिशाचज्वर दानवज्वर महाकालज्वरं दुर्गाज्वरं ब्रह्माविष्णुज्वरं माहेश्वरज्वरं चतु:षष्टि योगिनीज्वरं गन्धर्वज्वरं बेतालज्वरं एतान ज्वरान्न नाशय नाशय दोषं मंथय मंथय दुरित हर हर अन्नत वासुकी तक्षक कालौय पद्म कुलिक कर्कोटक शंख पलाद्य अष्ट नाग कुलानां विषं हन हन खं खं घं घं पाशुपतं नाशय नाशय शिखंडी खंडय खंडय प्रमुख दुष्ट तंत्र स्फोटय स्फोटय भ्रामय भ्रामय महानारायणअस्त्राय पंचाशधरणरूपाय लल लल शरणागत रक्षणाय हूँ हूँ गं वं गं वं शं शं अमृतमूर्तये तुभ्यं नम: / ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात भो भो सुदर्शन नारसिंह माम रक्षय रक्षय / ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात ॐ सुदर्शन विद्महे महा ज्वालाय धीमहि तन्न: चक्र: प्रचोदयात मम सर्वारिष्ट शान्तिं कुरु कुरु सर्वतो रक्ष रक्ष ॐ ह्रीं हूँ फट स्वाहा / ॐ क्ष्रोम ह्रीं श्रीं सहस्रार हूँ फट स्वाहा /

Related topics-



1 comment:

  1. Mere bete ki dob 8/5/97 he time 10 bike 05 mint place gwalior uske carrier aur married life ke bare me btaye

    ReplyDelete