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Wednesday, August 28, 2019

होमसमये अग्निवास ज्ञानम् homasamaye agnivaas gyaanam

     होमसमये अग्निवास ज्ञानम्

अभीष्ट तिथि संख्या में वार संख्या जोड़कर 1 और मिलावे फिर 4 से भाग दें।
3 और 0 शेष बचे तो अग्निवास पृथ्वी पर श्रेष्ठ,
1 बचे तो आकाश में प्राणनाशक,
2 शेष बचे तो पाताल में धनहानि कारक माना जाता है।
               ।।विशेष।।
विवाहयात्राव्रतगोचरेषु चूडोपनीति ग्रहणे युगाद्यै।
दुर्गाविधाने च सुतप्रसूतौ नेवाग्निचक्रं परिचिन्तनीयम्।।

रवि आश्रित नक्षत्र से दैनिक चान्द्र नक्षत्र तक गिने आगे 3 संख्या तक आहुति सूर्य ग्रह के मुख में जाती है।
इसी प्रकार4 से 6 तक बुध के मुख में अर्थात आगे 3-3 के क्रम से सूर्य,बुध,शुक्र, शनि, चन्द्र, मंगल, गुरु, राहु, केतु के मुख में जाएंगी।
शुभ ग्रह के मुख में पड़ने से यज्ञाहुति मंगलकारी होती है।

नोट-ग्रह दोष शान्तयर्थ आहुतियों का विचार प्रसंगवश करना चाहिए।

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