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Monday, June 17, 2019

जानें लड़की के विवाह से संबंधित सभी जानकारी Know all information related to the girl's wedding

कन्या के विवाह, पति, ससुराल से संबंधित सभी जानकारियों को ज्ञात करने के ज्योतिषीय सूत्र
Astrological sources of knowing all the information related to the marriage of the girl, husband, in-laws

कन्या के विवाह से पहले मेलापक के आधार पर केवल गुण मिलान करना ही ज्योतिष में पर्याप्त नहीं होता, अगर कन्या की जन्मपत्रिका को शूक्ष्मता से देखें तो ससुराल की समस्त जानकारी  विवाह के पूर्व ही ज्ञात की जा सकती है । अपनी कन्या का विवाह करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति  वर-वधू की कुंडली का गुण मिलान करते हैं।  किंतु इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा? तथा उसके पति का स्वभाव कैसा होगा? किस सामाजिक स्तर का तथा कितने भाई-बहनों वाला होगा? लड़की की जन्म  कुंडली से उसके होने वाले पति एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्ट रूप से पता किया जा सकता है।

ज्योतिषके अनुसार लड़की की जन्म  कुंडली में लग्न से सप्तम भाव उसके जीवन, पति, दाम्पत्य जीवन तथा वैवाहिक संबंधों का भाव है। इस भाव से उसके होने वाले पति का कद, रंग, रूप, चरित्र, स्वभाव, आर्थिक स्थिति, व्यवसाय या कार्यक्षेत्र, परिवार से संबंध आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 

कन्या की कुंंडली के तृतीय और नवम भाव के आधार पर देवर, जेठ, ननदों के स्वभाव आदि के बारे में जानकारी की जाती है।

इसी तरह दशम भाव से सास, चतुर्थ भाव से स्वसुर, एवं अष्टम भाव से उनके कुटुम्ब परिवार की स्थिति और स्वभाव को जाना जा सकता है ।

कितनी दूरी पर होगी ससुराल?How far will be the in-laws?

सप्तम भाव में अगर वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ राशि स्थित हो, तो लड़की की शादी उसके जन्म स्थान से 90 किलोमीटर के अंदर ही होगी।
यदि सप्तम भाव में चंद्र, शुक्र तथा गुरु हों, तो लड़की की शादी जन्म स्थान के समीप होगी। यदि सप्तम भाव में चर राशि मेष, कर्क, तुला या मकर हो, तो विवाह उसके जन्म स्थान से 200 किलोमीटर के अंदर होगा। 
अगर सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि स्थित हो, तो विवाह जन्म स्थान से 80 से 100 किलोमीटर की दूरी पर होगा। 
यदि सप्तमेश सप्तम भाव से द्वादश भाव के मध्य हो, तो विवाह विदेश में होगा या लड़का शादी करके लड़की को अपने साथ लेकर विदेश चला जाएगा।

 विवाह कब होगा? When will the wedding

यदि जातक या जातका की जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में सप्तमेश बुध हो और वह पाप ग्रह से प्रभावित न हो, तो शादी 13 से 18 वर्ष की आयु सीमा में होता है। सप्तम भाव में सप्तमेश मंगल पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो शादी 18 वर्ष के अंदर होगी। शुक्र ग्रह युवा अवस्था का द्योतक है। सप्तमेश शुक्र पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो 25 वर्ष की आयु में विवाह होगा। चंद्रमा सप्तमेश होकर पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो विवाह 22 वर्ष की आयु में होगा। बृहस्पति सप्तम भाव में सप्तमेश होकर पापी ग्रहों से प्रभावित न हो, तो शादी 27-28 वें वर्ष में होगी। सप्तम भाव को सभी ग्रह पूर्ण दृष्टि से देखते हैं तथा सप्तम भाव में शुभ ग्रह से युक्त हो कर चर राशि हो, तो जातिका का विवाह दी गई आयु में संपन्न हो जाता है। यदि किसी लड़की या लड़के की जन्मकुंडली में बुध स्वराशि मिथुन या कन्या का होकर सप्तम भाव में बैठा हो, तो विवाह बाल्यावस्था में होगा।

आयु के जिस वर्ष में गोचरस्थ गुरु लग्न, तृतीय, पंचम, नवम या एकादश भाव में आता है, उस वर्ष शादी होना निश्चित समझना चाहिए। परंतु शनि की दृष्टि सप्तम भाव या लग्न पर नहीं होनी चाहिए। अनुभव में देखा गया है कि लग्न या सप्तम में बृहस्पति की स्थिति होने पर उस वर्ष शादी हुई है।


जानें विवाह कब होगा ?When will marriage happen?

यह जानने की दो विधियां यहां प्रस्तुत हैं। जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में स्थित राशि अंक में 10 जोड़ दें। योगफल विवाह का वर्ष होगा। 
सप्तम भाव पर जितने पापी ग्रहों की दृष्टि हो, उनमें प्रत्येक की दृष्टि के लिए 4-4 वर्ष जोड़ योगफल विवाह का वर्ष होगा।

किस दिशा में करें शादी?In what direction do marriage?

ज्योतिष के अनुसार गणना करके इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जन्मांग में सप्तम भाव में स्थित राशि के आधार पर शादी की दिशा ज्ञात की जाती है। उक्त भाव में मेष, सिंह या धनु राशि एवं सूर्य और शुक्र ग्रह होने पर पूर्व दिशा, वृष, कन्या या मकर राशि और चंद्र, शनि ग्रह होने पर दक्षिण दिशा, मिथुन, तुला या कुंभ राशि और मंगल, राहु, केतु ग्रह होने पर पश्चिम दिशा, कर्क, वृश्चिक, मीन या राशि और बुध और गुरु ग्रह होने पर उत्तर दिशा की तरफ शादी होगी। 
अगर जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में कोई ग्रह न हो और उस भाव पर अन्य ग्रह की दृष्टि न हो, तो बलवान ग्रह की स्थिति राशि में शादी की दिशा समझनी चाहिए।

अन्य नियम के अनुसार शुक्र जन्म लग्न कुंडली में जहां कहीं भी हो, वहां से सप्तम भाव तक गिनें। उस सप्तम भाव की राशि के स्वामी की दिशा में विवाह होना चाहिए। जैसे अगर किसी कुंडली में शुक्र नवम भाव में स्थित है, तो उस नवम भाव से सप्तम भाव तक गिनें तो वहां से सप्तम भाव वृश्चिक राशि हुई। इस राशि का स्वामी मंगल हुआ। मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण है। अतः शादी दक्षिण दिशा में होनी चाहिए।

जीवनसाथी कैसा होगा ?How will a life partner be?

कुंंडली में सप्तमेश अगर शुभ ग्रह (चंद्रमा, बुध, गुरु या शुक्र) हो या सप्तम भाव में स्थित हो या सप्तम भाव को देख रहा हो, तो लड़की का पति सम आयु या दो-चार वर्ष के अंतर का, गौरांग और सुंदर होना चाहिए। 

अगर सप्तम भाव पर या सप्तम भाव में पापी ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, राहु या केतु का प्रभाव हो, तो बड़ी आयु वाला अर्थात लड़की की उम्र से 5 वर्ष बड़ी आयु का होगा। सूर्य का प्रभाव हो, तो गौरांग, आकर्षक चेहरे वाला, मंगल का प्रभाव हो, तो लाल चेहरे वाला होगा। शनि अगर अपनी राशि का उच्च न हो, तो वर काला या कुरूप तथा लड़की की उम्र से काफी बड़ी आयु वाला होगा। अगर शनि उच्च राशि का हो, तो, पतले शरीर वाला गोरा तथा उम्र में लड़की से 12 वर्ष बड़ा होगा।

सप्तमेश अगर सूर्य हो, तो पति गोल मुख तथा तेज ललाट वाला, आकर्षक, गोरा सुंदर, यशस्वी एवं राजकर्मचारी होगा। 
चंद्रमा अगर सप्तमेश हो, तो पति शांत चित्त वाला गौर वर्ण का, मध्यम कद तथा, सुडौल शरीर वाला होगा। 
मंगल सप्तमेश हो, तो पति का शरीर बलवान होगा। वह क्रोधी स्वभाव वाला, नियम का पालन करने वाला, सत्यवादी, छोटे कद वाला, शूरवीर, विद्वान तथा भ्रातृ-प्रेमी होगा तथा सेना, पुलिस या सरकारी सेवा में कार्यरत होगा।

देवर, जेठ और ननदें Dewar, Jeth and Nandeen

लड़की की जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव से तृतीय भाव अर्थात नवम भाव उसके पति के भाई-बहन का स्थान होता है। उक्त भाव में स्थित ग्रह तथा उस पर दृष्टि डालने वाले ग्रह की संख्या से 2 बहन, मंगल से 1 भाई व 2 बहन, बुध से 2 भाई 2 बहन वाला कहना चाहिए। 
लड़की की जन्मकुंडली में पंचम भाव उसके पति के बड़े भाई-बहन का स्थान है। पंचम भाव में स्थित ग्रह तथा दृष्टि डालने वाले ग्रहों की कुल संख्या उसके पति के बड़े भाई-बहन की संख्या होगी। पुरुष ग्रह से भाई तथा स्त्री ग्रह से बहन समझना चाहिए।

पति का घर कैसा है
How is  husband's house

लड़की की जन्म लग्न कुंडली में उसके लग्न भाव से तृतीय भाव पति का भाग्य स्थान होता है। इसके स्वामी के स्वक्षेत्री या मित्रक्षेत्री होने से पंचम और राशि वृद्धि से या तृतीयेश से पंचम जो राशि हो, उसी राशि का श्वसुर का गांव या नगर होगा। प्रत्येक राशि में 9 अक्षर होते हैं। राशि स्वामी यदि शत्रुक्षेत्री हो, तो प्रथम, द्वितीय अक्षर, सम राशि का हो, तो तृतीय, चतुर्थ अक्षर मित्रक्षेत्री हो, तो पंचम, षष्ठम अक्षर, अपनी ही राशि का हो तो सप्तम, अष्टम अक्षर, उच्च क्षेत्री हो, तो नवम अक्षर प्रसिद्ध नाम होगा। तृतीयेश के शत्रुक्षेत्री होने से जिस राशि में हो उससे चतुर्थ राशि ससुराल या भवन की होगी। यदि तृतीय से शत्रु राशि में हो और तृतीय भाव में शत्रु राशि में पड़ रहा हो ,तो दसवी राशि ससुर के गांव की होगी। लड़की की कुंडली में दसवां भाव उसके पति का भाव होता है। दशम भाव अगर शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो, या दशमेश से युक्त या दृष्ट हो, तो पति का अपना मकान होता है। राहु, केतु, शनि, से भवन बहुत पुराना होगा। मंगल ग्रह में मकान टूटा होगा। सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु एवं शुक्र से भवन सुंदर, मजबूत व बहुमंजिला होगा। अगर दशम स्थान में शनि बलवान हो, तो मकान भव्य मिलेगा।

पति की नौकरी Husband's job

लड़की की जन्म लग्न कुंडली में चतुर्थ भाव पति का राज्य भाव होता है। अगर चतुर्थ भाव बलयुक्त हो और चतुर्थेश की स्थिति या दृष्टि से युक्त सूर्य, मंगल, गुरु, शुक्र की स्थिति या चंद्रमा की स्थिति उत्तम हो, तो अच्छी नौकरी का संयोग बनता है।

पति की आयु Husband's age

लड़की के जन्म लग्न में द्वितीय भाव उसके पति की आयु भाव है। अगर द्वितीयेश शुभ स्थिति में हो या अपने स्थान से द्वितीय स्थान को देख रहा हो, तो पति दीर्घायु होता है। अगर द्वितीय भाव में शनि स्थित हो या गुरु सप्तम भाव, द्वितीय भाव को देख रहा हो, तो भी पति की आयु 75 वर्ष की होती है।।

इन सभी ज्योतिष सिद्धातों के शूक्ष्म परीक्षण एवं षोडशवर्गीय कुंंडली के गहन विष्लेषण से पति, ससुराल और वैवाहिक जीवन के प्रत्येक पहलू को  जाना जा सकता है।

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