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Tuesday, March 14, 2017

कुण्डली के बारह भाव Twelve prices of horoscope

कुण्डली में ग्रह, नक्षत्र तथा राशियों के समान ही कुण्डली में मौजूद विभिन्न भावों का अपना खास महत्व है. प्रथम भाव से लेकर द्वादश भाव तक सभी के अधीन बहुत से विषय होते हैं. इन विषयों से सम्बन्धित फल ग्रहों राशियों एवं इनसे सम्बन्धित नक्षत्रों के आधार पर शुभ-अशुभ तथा कम और ज्यादा मिलते हैं.
कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते है. जिस प्रकार व्यक्ति के शरीर का आरम्भ सिर से होता है उसी प्रकार इस भाव से कुण्डली का आरम्भ होता है. इस भाव से व्यक्ति के स्वभाव (nature), आचार-विचार की जानकारी होती है. शरीर के हिस्सों में मस्तिष्क, सिर व पूरा शरीर तथा सामान्य कद-काठी का अनुमान भी लगाया जाता है. इस भाव में उपस्थित राशि तथा इस भाव में स्थित ग्रहों के आधार पर इस विषय में फल ज्ञात किया जाता है.
प्रथम भाव से विचार:- इस भाव से सोचने -समझने के कार्य किये जाते है. किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति का प्रथम भाव से विचार किया जाता है. यह घर मस्तिष्क का घर होने के कारण इस घर से व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता तथा दूरददर्शिता आती है. मन का झुकाव, बल, धीरज, हौसला, नेतृत्व (leadership), प्रतिरोध शक्ति, स्वास्थ्य, रुप-रंग तथा व्यक्तित्व सामान्य रुप से देखा जाता है.

प्रथम भाव की अन्य विशेषताएं:- किसी भी व्यक्ति की कुण्डली का विश्लेषण करते समय सबसे पहले कुण्डली के पहले भाव पर नजर डाली जाती है. प्रथम भाव को देखने से व्यक्ति के विषय में सामान्य जानकारी मिल जाती है. लग्न भाव के सुदृढ होने पर व्यक्ति का मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहने की संभावनाएं रहती है.

इस भाव से विचार किये जाने वाले कार्य:-
यह भाव दूसरे स्थान का बारहवां घर है. इसलिये इस घर से संचय में कमी का विचार किया जाता है. संचित धन में कमी का कारण पहला घर हो सकता है. दूसरे घर के स्वामी का पहले भाव में होने पर व्यक्ति को संचय करने में परेशानियां आ सकती है. यह घर बारहवें घर से दूसरा घर होता है इसलिए विदेशों के संस्कार का प्रभाव भी इस घर से ज्ञात किया जाता है.

घर में पहले भाव का स्थान:-
पहले भाव को घर के दरवाजे (door of the house) के रुप में देखा जाता है. यह भाव कमज़ोर होने पर घर का दरवाजा वास्तु दोष से प्रभावित हो सकता है. अगर कोई वस्तु खो गयी है जिनका सम्बन्ध प्रथम भाव से हैं तो खोई हुई वस्तु को मुख्य दरवाजे के पास तलाश करनी चाहिए चाहिए।

दूसरा भाव

कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव भी कहा जाता है. शरीर के अंगों में कान को छोड़कर कंठ के ऊपर का पूरा चेहरा दूसरे भाव के अन्तर्गत माना जाता है. जीभ, आँखें, नाक, मुंह तथा होंठ ये सभी दूसरे भाव से देखे जाते हैं.

दूसरे भाव के कार्य:-
दूसरे भाव से खाने-पीने की आदतों, बातचीत का तरीका, आवाज की मधुरता, वाणी, संगीत, कला इन सभी बातों को देखा जाता है. इसके अतिरिक्त इस भाव से परिवार के सदस्यों के विषय में भी जाना जाता है. इस कारण इस भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते है. परिवार में वृद्धि या कमी का आंकलन भी इसी घर से किया जाता है.

दूसरे भाव की विशेषताएं:-
इस भाव को धन भाव कहते है. इससे ज्ञात होता है कि आप अपनी आय से कितना संचय कर पाते हैं. इस भाव से ही धन, रूपया- पैसा, गहने, आदि के विषय में जानकारी मिलती है. इस भाव से वाणी में मधुरता व आंखों की सुन्दरता भी देखी जाती है.

दूसरे भाव की अन्य विशेषताएं:-
बैंक, रेवेन्यी, अकाउन्ट, सात्विक भोजन, कीमती धातु आदि के विषय में जाना जाता है. यह भाव तीसरे भाव से बारहवां स्थान होने के कारण छोटे भाई-बहनों में कमी के लिये भी देखा जाता है. इस भाव से अन्य जो बातें देखी जाती जा सकती है. उसमें छोटे भाई- बहनों की विदेश यात्रा, कर्जा चुकाना, जेल, सजा, माता को होने वाले लाभ, मामा की यात्राएं, उच्च शिक्षा, दुर्घटना, ऋण इत्यादि बातें भी इस भाव से देखी जाती हैं.

द्वितीय भाव का घर में स्थान:-
दूसरे भाव को घर में तिजोरीएवं रसोई घर का स्थान दिया गया है. कुण्डली के दूसरे भाव के पीड़ित होने पर घर की तिजोरी तथा रसोई घर में दिशा संबन्धी दोष होने की संभावना रहती है. प्रश्न लग्न से खोई वस्तु को वापस प्राप्त करने के लिये वस्तु का संबन्ध दूसरे घर से होने पर तिजोरी तथा रसोई घर में वस्तु तलाशने से उसके वापस प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है।

तीसरा भाव

अगर आप शक्ति-सामर्थ्य, पराक्रम के विषय में जानना चाहते हैं तो आपको कुण्डली के तीसरे घर को देखना चाहिए. इसी प्रकार जब आप माता से स्नेह तथा सुख के विषय में जानाना चाहते हैं. भूमि एवं वाहन सुख आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा अथवा कितना मिलेगा तो इस विषय में चौथे घर को देखा जाता है.

तीसरा भाव या पराक्रम स्थान

कुण्डली के तीसरे घर को पराक्रम स्थान के नाम से जाना जाता है. शरीर के अंगों में यह घर श्वसन तंत्र का काम करता है. हाथ, कंधे, हाथों का ऊपरी हिस्सा, उंगलियां, अस्थि मज्ज, कान व श्रवण तंत्र तथा कंठ का स्थान के विषय में जानने के लिए भी तीसरे घर को ही देखा जाता है।

इस भाव की विशेषताऐं

पराक्रम भाव से व्यक्ति की बाजुओं के बल का भीविचार किया जाता है. इसके अलावा व्यक्ति में साहस, वीरता आदि के लिये भी तीसरे भाव देखा जाता है. तीसरे घर से व्यक्ति की रुचियां व शौक देखे जाते है. यह घर लेखन (writing) की भी जानकारी देता है.
यह घर चौथे घर से बारहवां घर होने के कारण सुख में कमी की संभावनाओं कोदर्शाता है. तृतीय भाव द्वितीय भाव से दूसरा घर होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के अंदर संगीत के प्रति लगाव को भी देखा जाता है. इस घर में जो भी राशि होती है उसके गुणों के अनुसार व्यक्ति का शौक होता है।

तीसरे घर से प्राप्त होने वाली जानकारियां

तीसरे घर से लेखन तथा कम दूरी की यात्राओं का विचार किया जाता है. काल पुरूष की कुण्डली में तीसरे भाव में मिथुन राशि होती है इस राशि का स्वामी बुध होता है जिसे बुद्धि का कारक माना जाता है. बुद्धि तथा पराक्रम होने से सभी काम सरलता से पूरा जाता हैं. इसलिए इस भाव से कार्य कुशलता के विषय में भी जाना जा सकात है. मंगल तथा बुध का मेल इस घर में होने से लेखन कला में योग्यता प्रदान करते हैं।

कम्युनिकेशन के भाव के रुप में

सभी प्रकार के समाचार पत्र, मीडिया व संप्रेषण संबन्धी कार्य इसी घर से देखे जाते है. इसके अतिरिक्त इस घर से यातायात के सभी साधन भी देखे जाते है. प्रकाशन संस्थाएं भी इस भाव के अन्तर्गत आती है. भाषा के लिये दूसरा घर देखा जाता है. यह घर दूसरे से दूसरा होने के कारण व्यक्ति को एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने की जानकारी देता है।

इस भाव की अन्य जानकारियां

तीसरा घर छोटे भाई बहनों के स्वास्थ्य का घर होता है. भाई-बन्धुओं में कमी के लिये इस घर से विचार किया जाता है. संतान के लाभों के लिये भी तीसरे घर से विचार किया जाता है. नौकरी बदलने के लिये इस घर में स्थित राशि के ग्रह की दशा को देखना लाभकारी रहता है. तीसरा घर साहस एवं पराक्रम का घर होने के कारण खेल-कूद में सफलता के लिए भी इसी घर से विचार किया जाता है. इसी भाव से पड़ोसियों से सम्बन्ध का भी विचार किया जाता है.

इस भाव का घर में स्थान

किताबों की अलमारी, लेटर बाँक्स, खिडकियां, लिखने या पढ़ने का स्थान, टेबल, झूले आदि तीसरे घर का स्थान है. यदि प्रश्न कुण्डली में खोई हुई वस्तु का संबन्ध तीसरे घर से आ रहा है तो खोई हुई वस्तु इन्हीं स्थानों पर ढ़ूंढना चाहिए, इससे वस्तु मिलने की संभावना अधिक रहेगी।



पांचवा भाव

कुण्डली का पांचवा भाव  संतान भाव होने के साथ-साथ चतुर्थ भाव से दूसरा भाव भी है. इसलिये भौतिक सुख -सुविधाओं में वृद्धि की संभावनाएं देता है।

पंचम भाव

पाचवें घर से शरीर के अंगों में दिल, रीढ की हड्डी का विचार किया जाता है. इस भाव से संम्बन्धित शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात प्रश्न कुण्डली से रोग को ढूंढने में सहयोग प्राप्त होता है. जिससे रोग की इलाज सरल होता है.

पंचम भाव से देखी जाने वाली बातें

इस भाव से ईश्वरीय ज्ञान देखा जाता है. किसी व्यक्ति की ईश्वर पर कितनी श्रद्धा है. इसकी जानकारी पंचम घर से ही प्राप्त होती है. पंचम घर से नाटक, फिल्म, कलाकार, तथा फिल्म उद्योग से जुड़े विषयों को देखा जाता है.

पंचम भाव से संबन्धित अन्य बातें

पंचम घर अभिनय स्थान होता है. सभी प्रकार के अभिनय स्थलों को इस घर से देखा जाता है. स्टेडियम, खेल का मैदान, सभी प्रकार के खेल तथा खेल के साधन इन सभी बातों का विचार पंचम घर से किया जाता है. संतान से प्राप्त होने वाला सुख, शयन सम्बन्धी परेशानियां, समझौता, शेयर बाजार, नृत्य के मंच एवं प्रेम प्रसंगों के विषय में भी इसी घर से विचार होता है. पंचम भाव से पूर्व जन्म के पुण्य का भी ज्ञान मिलता है.
पांचवा घर तीसरे घर से तीसरा भाव होता है इस कारण इस घर से भाई-बन्धुओं की छोटी यात्राओं का आंकलन किया जाता है. जीवनसाथी से लाभ, पिता की धार्मिक आस्था, पिता की विदेश यात्रा, कोर्ट-कचहरी के फैसले के विषय में भी यही घर जानकारी देता है. यह स्थान छठे घर से बारहवां स्थान है जिसके कारण प्रतियोगिता कि भावना कमी करता है. नौकरी में बदलाव, उधार लिये गये ऋण की हानि भी दर्शाता है.

घर में स्थान

घर में रसोईघर को पंचम भाव का स्थान माना जाता है।

सप्तम भाव

ज्योतिष में फलादेश के लिये आधारभूत नियमों को समझना बेहद जरूरी होता है. जब हम विवाह, वैवाहिक जीवन तथा साझेदारी व्यवसाय की बात करते हैं तो सप्तम भाव से विश्लेषण किया जाता है. इसी प्रकार से अष्टम भाव का भी विश्लेषण किया जाता है.
सप्तम भाव को विवाह या जाया भाव के नाम से भी जाना जाता है. इस भाव से विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, विदेशी व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों का आंकलन किया जाता है. इस भाव से वैवाहिक जीवन के सुख तथा विवाह से संबन्धित सभी विषयों को देखा जाता है. शीघ्र विवाह, विवाह में विलम्ब तथा विवाह की आयु ज्ञात करने के लिये भी सप्तम भाव को देखा जाता है. कानूनी साझेदारों, कारोबार के लेन-देन इत्यादि के लिये भी इसी घर को देखा जाता है।

सप्तम भाव से देखी जाने वाली अन्य बातें

कारोबार की स्थिति, व्यापार केन्द्र, विवाह मंडल, विदेश में प्रतिष्ठा व सभाओं में प्राप्त होने वाले सम्मान भी इस घर से देखा जाता है. विवाह कराने वाली संस्थाएं भी सप्तम भाव से देखी जाती है. अगर आप शिक्षा के उद्देश्य से छोटी यात्रा करना चाहते हैं तो इस विषय में भी सातवें भाव से विचार किया जाएगा. यह भाव चतुर्थ भाव से चौथा होना के कारण माता की माता अर्थात नानी के विषय में भी ज्ञान प्रदान करता है. सप्तम घर से कानूनी नोटिस का भी विचार किया जाता है.

आप से सम्बन्धित लोगों के लिए सातवें घर का फल

सप्तम घर से छोटे-भाई बहनों तथा मित्रों की संतान को देखा जाता है. मित्रों के प्रेम-प्रसंगों के लिये भी इस घर को देखा जाता है. शिक्षा में आने वाली बाधाएं, कला, माता के घर, वाहन को खरीदना, संतान के मित्र, जीवनसाथी का स्वास्थ्य, पिता के व्ययों के लिये सप्तम घर का विचार किया जा सकता है. भाई-बन्धुओं को प्राप्त होने वाले सम्मान, अचानक से मिलने वाले प्रमोशन के लिये भी सातवें घर को देखा जाता है.

सप्तम भाव से घर के स्थानों का विचार

बडे कमरे, पलंग, गद्दा रखने का स्थान।

अन्य बातें

यह स्थान अष्टम से बारहवां भाव होने के कारण, अष्टम भाव से प्राप्त होने वाले लाभों में कमी करता है. इस घर से घर-परिवार से प्राप्त होने वाली वसीयतें, नुकसान की भरपाई, बोनस, फंड, ग्रेच्युटी में आने वाली मुश्किलों को भी देखा जाता है।

अष्टम भाव

अष्टम भाव मृत्यु स्थान के रुप में विशेष रुप से जाना जाता है. जन्म से लेकर तमाम उम्र जो चीज़ व्यक्ति को सबसे अधिक परेशान करती है, वह मृत्यु से संबन्धित प्रश्न के लिये अष्टम भाव का विचार किया जाता है. अष्टम भाव से छुपी हुई या गुप्त बातें देखी जाती है. मृत्यु भाव होने के कारण इस भाव को शुभ नहीं समझा जाता है इसलिये जिस घटना से इस भाव का संबन्ध बनता है. उसमें शुभ फल कम मिलने की संभावना रहती है.

अष्टम भाव से विचार की जाने वाली बातें

अष्टम भाव गुप्त शत्रुओं (enemies) के विषय में बताता है, साजिश, छुपी योजनाएं, प्यार के छुपे मामले, दुर्घटना, आँपरेशन, गर्भपात, शरीर के हिस्से बेकार हो जाना, अपयश व नैतिक पतन इस भाव से देखा जाता है. इस भाव से मृत्यु के समय शरीर की स्थिति की भी जानकारी मिलती है तथा अचानक होने वाली हानि व लाभों के लिये भी अष्टम घर को देखा जाता है. इस घर के बली होने पर शेयर बाजार, रेस से आय की प्राप्ति होती है.

अष्टम भाव की विशेषताएं

अष्टम भाव से प्राप्त होने वाली आय के पीछे कष्ट या दुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. इस भाव से विवाह के बाद प्राप्त होने वाले धन की जानकारी प्राप्त होती है. अष्टम भाव से धन की प्राप्ति की संभावना तो रहती है. परन्तु इसमें भी अशुभ प्रभाव बना रहता है जैसे:- नौकरी छुटने पर ग्रेच्युटी की प्राप्ति, किसी अपने की मृत्यु के बाद वसीयत की प्राप्ति, दुर्घटना के बाद मुआवजे की प्राप्ति में बाधा आती है.

अन्य बातें

इस घर को गोपनीय विषयों के लिये देखा जाता है. इसलिए पुलिस विभाग, जासूसी, आँडिट डिपार्टमेन्ट, किसी भी विभाग में पूछताछ के काम, अग्निशमन दल, सफाई विभाग, सर्जरी, जन्म-मृत्यु पंजीकरण का दफ्तर, जहर, बडी असफलता, बीमा ऎजेंट आदि का भी इसी इस घर से देखा जाता है.

इस भाव से संबन्धित अन्य फल

अष्टम भाव से छोटे भाई-बहनों के स्वास्थ्य में खराबी, नौकरी, धन अर्जन और ऋण, मां की नौकरी में बदलाव, लम्बी अवधि की बीमारियां, संतान की शिक्षा, घर और वाहन खरीदना, जीवनसाथी का धन कमाना, पिता का नुकसान, मोक्ष, भाई-बहन या दोस्तों का प्रमोशन, यश, सम्मान. इन सभी बातों का विचार किया जाता है.

अन्य भावों से संबन्धित फल

अष्टम भाव नवम भाव से बारहवां भाव होने के कारण पिता के स्वास्थय में कमी का कारण हो सकता है. भाग्य में आने वाली बाधाओं को जानने के लिए भी अष्टम भाव को देखा जाता है. धर्म-कर्म में मन नहीं लगने का कारण भी आवठें घर से जाना जाता है. उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में मिलने वाले विरोध का कारण भी यही घर होता है.
व्यवसाय के लिये की जाने वाली यात्राओं में लाभ की स्थिति का विचार भी आठवें घर से किया जाता है. आठवां भाव अस्पताल का भी भाव होता है इसलिए जब छठे घर का संबन्ध, अष्टम भाव से बनता है तो व्यक्ति लम्बे समय तक रोग से पीड़ित होगा यह जानकारी मिलती है।

नवम भाव

कुण्डली में नवम भाव को भाग्य का घर कहा जाता है जबकि दसवें घर को को आजीविका स्थान के रूप में जाना जाता है. किसी भी व्यक्ति के जीवन में ये दोनों ही चीजें बहुत मायने रखते हैं. अगर आप जानना चाहते हैं कि कुण्डली के नवम भाव का आपके जीवन पर क्या प्रभाव है तथा दसवां घर आपको किस प्रकार का फल दे रहा है तो सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि इन घरों की क्या-क्या विशेषताएं हैं.

नवम भाव से विचार की जाने वाली बातें-

नवम भाव को भाग्य भाव तथा धर्म का घर भी कहते है. इस भाव से पैरो के ऊपरी हिस्से अर्थात पिंडलियों को देखा जाता है. काल पुरुष की कुण्डली के अनुसार इस भाव में गुरू की धनु राशि आती है. यह भाव धर्म का भाव होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के धार्मिक आचरण को देखा जाता है. यह भाव बलवान होने पर व्यक्ति धर्मिक कार्यों में अधिक रूचि लेता है. नवम भाव को पिता का घर भी माना जाता है अत: पिता के विषय में जानने के लिए भी नवम भाव को देखा जाता है.

नवम भाव की विशेषतायें
यह भाव मित्रों व छोटे भाई-बहनो के लिए विवाह स्थान होता है. इस भाव से इनके विवाह के समय का आंकलन किया जा सकता है. जीवनसाथी के छोटे-भाई बहनों के लिये भी नवम भाव का विचार किया जाता है. उच्च शिक्षा, व अनुसंधान कार्य के लिए भी नवम भाव को देखा जाता है. देश और विदेश यात्रा के विषय में जब आप कुण्डली का विश्लेषण करते है तब भी नवम भाव का विश्लेषण किया जाता है. व्यक्ति का झुकाव आध्यात्म कि ओर देखने के लिये इस घर पर केतु व गुरु का प्रभाव होना जरूरी समझा जाता है. नवम भाव नई खोज का भाव है. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में यह भाव बलवान होता है उन्हें कुछ नया करने की चाह रहती है.

अन्य बातें:-
यह भाव बडे पैमाने के विज्ञापनों का भाव है. धर्म ग्रन्थों को जानने में यह भाव सहयोगी होता है. समाज में व्यक्ति की छवि नवम भाव से ज्ञात की जा सकती है. किसी व्यक्ति के साथ समाज है या नहीं इसका निर्णय चतुर्थ व नवम भाव से ही किया जाता है. मुख्य रुप से इस भाव को ईश्वरीय आस्था-प्रेम के लिये देखा जाता है तथा अगले जन्म को समझने के लिये भी इसी भाव का आंकलन किया जाता है.

नवम भाव से संबन्धित अन्य फल:-

नवम भाव छोटे-भाई बहनों के विवाह का स्थान है. तथा माता की बीमारियां जानने के लिये भी इस भाव का विश्लेषण किया जाता है. नवम भाव को धन भाव भी कहते है. इस भाव से संतान की शिक्षा भी देखी जाती है तथा नवम भाव में राहु ग्रह के होने पर गैर पारम्परिक कलाओं में रुचि लेता है. नवम भाव जीवनसाथी की यात्राओं का भाव होता है. पिता का भाव होने के कारण इस भाव से पिता के स्वास्थ्य को देखा जाता है. एकादश भाव से एकादश होने के कारण यह भाव भाई-बहनों के लाभ के लिए भी देखा जाता है.

नवम भाव से संबन्धित फल
यह भाव दशम भाव से बारहवां भाव है. इसलिये श्रम में कमी की ओर संकेत करता है. प्रमोशन में आ रही रुकावटों के लिये इस भाव को देखा जा सकता है. व्यक्ति की अधिकार सीमा में किसी प्रकार की आने वाली बाधाओं के लिये भी यह भाव मह्त्वपूर्ण समझा जाता है. न्याय स्थान होने के कारण कोर्ट-कचहरी के विषय के लिए भी इस भाव का विश्लेषण किया जा सकता है. इस भाव से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्बन्धी विषयों को भी देखा जाता है.

नवम भाव से घर के स्थानों का विचार:-

घर का पूजा स्थल नवम भाव का स्थान माना जाता है. घर में देवी देवताओं की तस्वीरों का स्थान भी नवम भाव ही होता है।


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