वास्तु कम्पास(दिशा सूचक)
Vastu compass (direction indicator)
भूखण्ड या गृह की मुख्य दिशाओं का पता लगाने के लिए वास्तु कम्पास का प्रयोग किया जाता है। यह वास्तु उपकरणों मे से मुख्य उपकरण है। जिसके बाद हम नक्शे का निर्माण करते है। इसमे एक चुम्बकीय सूई होती है जिस पर लाल रंग लगा होता है और उत्तर दिशा के लिए N लिखा होता है। जिस दिशा मे उत्तर दिशा होती है यह लाल रंग़ लगी सूई की नोंक खुद ही वही घूम जाती है। कम्पास दिशा पहचान करने का स्वचालित यन्त्र है।
भूखण्ड या भवन के केंद्र स्थान मे खडे हो जाये और वहां फर्श की साफ सतह पर कम्पास (दिशा सूचक) रखे।
कम्पास के नजदीक मोबाईल, लोहा, घडी या बिजली की तार नही होनी चाहिए। लाल सूई अपने आप ही उत्तर की तरफ जा कर रुक जाएगी। लाल सूई और “एन” के बीच की डिग्री मे अंतर, भवन की दिशा की डिग्री बताती है कि भवन का मुख किस ओर है और उत्तर दिशा और आपकी मुख्य दिशा मे कितना अन्तर है।
घर की दिशा निर्धारण के लिए घर के अंदर खडे हो कर बाहर दरवाजे की ओर मुख करे और उसी अनुसार दिशा का पता लगाये। इस प्रकार वास्तु कम्पास दिशा निर्धारण मे मदद करता है।
इस तरह आप दिशा और विदिशा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
घर की दिशा निर्धारण के लिए घर के अंदर खडे हो कर बाहर दरवाजे की ओर मुख करे और उसी अनुसार दिशा का पता लगाये। इस प्रकार वास्तु कम्पास दिशा निर्धारण मे मदद करता है।
इस तरह आप दिशा और विदिशा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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