शास्त्रों में स्त्री के सोलह श्रंगार बताए गये हैं।अंगशुची, मंजन, वसन, माँग, महावर, केश।
तिलक भाल, तिल चिबुक में, भूषण मेंहदी वेश।।
मिस्सी काजल अरगजा, वीरी और सुगंध।
अर्थात् अंगों में उबटन लगाना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, माँग भरना, महावर
लगाना, बाल सँवारना, तिलक लगाना, ठोढी पर तिल बनाना, आभूषण धारण करना, मेंहदी
रचाना, दाँतों में मिस्सी, आँखों में काजल लगाना, सुगांधित द्रव्यों का प्रयोग, पान खाना, माला
पहनना, नीला कमल धारण करना।
स्नान के पहले उबटन का बहुत प्रचार था। इसका दूसरा नाम अंगराग है।
जिनमें से बिंदी लगाना भी एक है।बिंदी का संबंध हमारे मन से जुड़ा हुआ है। जहां बिंदी लगाई जाती है वहीं हमारा आज्ञा चक्र स्थित होता है। यह चक्र हमारे मन को नियंत्रित करता है ।मन को एकाग्र करने के लिए इसी चक्र पर दबाव दिया जाता है ।
महिलाओं का मन अति चंचल होता है। इसी वजह से किसी भी स्त्री का मन बदलने में पलभर का ही समय लगता है। वे एक समय एक साथ कई विषयों पर चिंतन करती रहती हैं। अतः उनके मन को नियंत्रित और स्थिर रखने के लिए यह बिंदी बहुत कारगर उपाय है। इससे उनका मन शांत और एकाग्र बना रहता है।अतः
बिंदी लगाने के तीन खास फायदें होतें है।
बिंदी लगाने से सौन्दर्यमें वृद्धि होतीहै।विवाहित स्त्री के सुहाग का प्रतीक है।
मन को स्थिर रखने में बहुत ही कारगर उपाय है।
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