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Saturday, August 13, 2011

मेरे सब कुछ तुम्ही बन जाओ


        मेरे सब कुछ तुम्ही बन जाओ 
बन जाओ तुम मेरे सब कुछ जप-तप,ध्यान,ज्ञान-विज्ञान.
बन  जाओ  तुम  मेरे साधन-साध्य, यज्ञ-व्रत, संयम-दान.
बन  जाओ  तुम  मेरे शम, दम, श्रद्धा,समाधान,शुचि योग.
बन  जाओ  तुम  मेरे मन-मति, अहंकार,इन्द्रिय,सब भोग.
बन  जाओ  तुम  मेरे प्राणों के रहस्य, जीवन  के  मर्म.
बन  जाओ  तुम   मेरे  वस्त्राभूषण,  खान-पान,  गृह-धर्म.
स्पर्श तुम्हारा  मिले  सर्वदा सब में सभी ठौर अविराम.
मेरे  तुम  हो,  मेरे  तुम  हो, सभी  भांति  हे प्राणाराम .

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